ट्रस्ट के मूल एवं प्राथमिक उद्देश्य-इस ट्रस्ट के संस्थापक ने देश की सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्थिति की समय-समय पर पूर्ण समीक्षा करते रहने तथा उन पर ‘‘आवश्यक सुधार’’ प्रस्तुत करते हुए उनका आम-जनमानस के मध्य प्रचार-प्रसार करने हेतु ही उक्त पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया है ताकि लोग धर्म के वास्तविक एवं वैज्ञानिक स्वरूप- ’’यथार्थ धर्म’’ से परिचित हो सकें। साथ ही विश्व भर में वेद-वेदान्त, गीता और रामचरितमानस के वास्तविक उद्देश्य से लोगों को अवगत कराना तथा शिक्षा का मूल एवं प्राथमिक उद्देश्य लोगों के मध्य स्पष्ट करते हुए उन्हें राष्ट्र एवं चरित्र निर्माण हेतु प्रेरित करना।
उपरोक्त मूल एवं प्राथमिक उद्देश्य के अतिरिक्त ट्रस्ट अन्य सामाजिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक कार्याें में भी गतिशील बना रहेगा ताकि समग्र राष्ट्र को एक विशेष गति प्रदान की जा सके।
मूल एवं प्राथमिक उद्देश्य के अतिरिक्त ट्रस्ट के मुख्य द्वितीय उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
i. आध्यात्मिक विज्ञान के अन्तर्गत ग्रेजुऐट, पोस्ट ग्रेजुऐट, डाॅक्ट्रेट आदि स्तर पर शिक्षण, प्रशिक्षण एवं अंवेषण और उपाधियों की विशेष व्यवस्था उपलब्ध कराना इस हेतु ट्रस्ट सम्पूर्ण मनुष्य जाति के सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक विकास के लिए एक विशेष आध्यात्मिक विश्वविद्यालय -“Swami Vivekananda World Wide Institute of Science & Spiritualism (A Deemed University)” का जल्द से जल्द गठन करेगा। इस विश्वविद्यालय द्वारा वैज्ञानिक तकनीक एवं आध्यात्मिक तकनीक दोनों ही परिक्षेत्रों में विशेष उपाधियाँ प्रदान की जायेंगी, जो व्यवहारिक दृष्टिकोण से भी पूर्ण रोजगार उपलब्ध कराने में पूर्ण सक्षम होंगी।
ii. पूर्णरूप से शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास हेतु देश की सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली में सुधार हेतु पहल करते हुए विशेष विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की स्थापना करना।
iii. देश की उभरती हुयी प्रतिभाओं को सम्मान प्रदान करना तथा उन्हेें अपनी प्रतिभा के आंकलन का पूर्ण अवसर प्रदान करना, इस कार्य हेतु ट्रस्ट देश में एक – ‘‘युवा प्रतिभा आंकलन आयोग’’ की जल्द से जल्द स्थापना करेगा। इस आयोग के माध्यम से युवकों के अन्दर दबी हुई प्रतिभा को जागृत किया जायेगा तथा उन्हें शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से पूर्ण विकास हेतु विशेष अवसर भी प्रदान करेगा।
iv. समग्र विषयों पर ’’आवश्यक सुधार’’ प्रस्तुत करना
v. पुस्तकों, पत्रिकाओं एवं अन्य उपयोगी साहित्य का प्रकाशन करना
vi. पर्यावरण संरक्षण तथा पशु-पक्षियों के हितों की सुरक्षा करना
vii. शिक्षा, चिकित्सा, खेलकूद, पेयजल, सिंचाई, कृषि एवं पर्यावरण में विशेष सेवाओं की शुरूआत करना।
viii. लेखन, साहित्य एवं दर्शन के क्षेत्र में कुछ अति विशिष्ट सेवाओं की शुरूआत करना।
ix. बेरोजगार युवक/युवतियों को अपनी विभिन्न सेवाओं में रोजगार उपलब्ध कराना।
x. सम्पूर्ण विश्व के आध्यात्मिक विकास, विश्व शांति एवं समस्त धर्मों के मध्य समन्वय स्थापित करने के लिए एक ऐसे ’’सर्व धर्म सद्भाव पूजा स्थल’’ का निर्माण करना जहाँ विश्व के समस्त धर्म एवं सम्प्रदाय शरण पा सकें। इस ‘‘सर्व धर्म सदभाव पूजा स्थल’’ में सभी धर्म एवं सम्प्रदायों के प्रमुख देवी देवताओं की मूर्तियों एवं संस्थापकों के चित्रों को समान रूप से स्थापित किया जायेगा जिससे विश्व के सभी धर्म एवं सम्प्रदाय एक मंच पर आ सकें और इस विश्व के कल्याण का माध्यम बन सकें।
xi. विश्व शांति हेतु अपने विभिन्न आयोजनों के द्वारा धर्म के वास्तविक स्वरूप ‘यथार्थ धर्म’ का प्रचार एवं प्रसार करना।
xii. आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा एवं प्राचीन संस्कृति को अधिक से अधिक विकसित करना तथा इसका सम्पूर्ण विश्व में प्रचार एवं प्रसार करना।
xiii. लोगों को दार्शनिक दृष्टिकोण से अवगत कराना तथा उनके दार्शनिक दृष्टिकोण में निखार लाना।
xiv. चरित्र एवं चरित्र मार्ग की व्याख्या करना तथा मनुष्य जाति को नैतिकता का पथ अपनाने को प्रेरित करना।
xv. ब्रह्मचर्य के वास्तविक अर्थ एवं उद्देश्य से मनुष्य जाति का परिचय कराना तथा उनके जीवन को संयमी बनाना।
xvi. वृक्षारोपण, वनस्पति उद्यान, औषधि खेती एवं औषधि निर्माण के लिए लोगों को पूर्ण अवसर प्रदान करना तथा इससे सम्बन्धित समुचित जानकारी उन्हें उपलब्ध कराना।
xvii. प्राकृतिक आपदा में लोगों को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराना।
xviii. स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जगह-जगह आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग एवं ध्यान साधना स्थलों की स्थापना करना।
xix. वाचनालयों, पुस्तकालयों आदि की समुचित व्यवस्था करना।
xx. अनाथालय, वृद्धाश्रम, गौशाला का निर्माण एवं संचालन करना।
xxi. अन्य उद्देश्य जो भी ट्रस्ट निर्धारण करे।
7. ट्रस्ट के आय के स्रोत- ट्रस्ट के सभी उद्देश्य लोक कल्याण के उद्देश्य हैं। अपने उद्देश्यों के विधिवत संचालन हेतु ट्रस्ट के प्रारम्भिक आय के स्रोत मुख्यतः ट्रस्ट का साहित्य और दान व सरकारी अनुदान है।